बिनु देखे देखत न कछु, छवि छायौ उर ऐन।
कुँवरि राधिका लाडिली, पिय नैनन के नैन।।
जिनके हृदय और नेत्र श्री प्रिया की छवि से छाये हुए है, वे श्री श्यामसुन्दर वही देखते हैं जो श्री प्रिया देखती हैं।
इस प्रकार लाडिली श्री राधा कुँवरि अपने प्रियतम के नेत्रों की नेत्र हैं।
...,बोलिये लाडिली लाल की जय।
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