यूँ ही रखना अपने आगोश में मुझको
बिछड़के अब मुझे रहना नहीँ है
बहुत सह लिया है दर्द ए जुदाई
अब और ये दर्द सहना नहीं है
यूँ ही रखना......
यूँ तो कह सकते थे हर बात ही तुझसे
छिपा लूँ गम अपने तुझे कहना नहीं है
यूँ ही रखना.......
अब लिया है हाथ मेरे हाथों में तुमने
कह दो हर बात वो भी जो कहना नहीं है
यूँ ही रखना......
अब तो दिल को वफाओं की मन्ज़िल मिले
कब से भटके हैं हमें और बहना नहीं है
यूँ ही रखना.......
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