Skip to main content

यूँ ही रखना , अमिता दीदी

यूँ ही रखना अपने आगोश में मुझको
बिछड़के अब मुझे रहना नहीँ है

बहुत सह लिया है दर्द ए जुदाई
अब और ये दर्द सहना नहीं है
यूँ ही रखना......

यूँ तो कह सकते थे हर बात ही तुझसे
छिपा लूँ गम अपने तुझे कहना नहीं है
यूँ ही रखना.......

अब लिया  है हाथ मेरे हाथों में तुमने
कह दो हर बात वो भी जो कहना नहीं है
यूँ ही रखना......

अब तो दिल को वफाओं की मन्ज़िल मिले
कब से भटके हैं हमें और बहना नहीं है
यूँ ही रखना.......

Comments

Popular posts from this blog

युगल स्तुति

॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...

वृन्दावन शत लीला , धुवदास जु

श्री ध्रुवदास जी कृत बयालीस लीला से उद्घृत श्री वृन्दावन सत लीला प्रथम नाम श्री हरिवंश हित, रत रसना दिन रैन। प्रीति रीति तब पाइये ,अरु श्री वृन्दावन ऐन।।1।। चरण शरण श्री हर...

कहा करुँ बैकुंठ जाय ।

।।श्रीराधे।। कहाँ करूँ वैकुण्ठ जाए.... जहाँ नहीं नंद, जहाँ नहीं यशोदा, जहाँ न गोपी ग्वालन गायें... कहाँ करूँ वैकुण्ठ जाए.... जहाँ नहीं जल जमुना को निर्मल, और नहीं कदम्ब की छाय.... कहाँ ...