🌹🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹 बनी रे माधो राधा कृष्ण बनी। कृष्ण रंगे राधा के रंग में, युगल छवि सोहे ईक संग में, मोर मुकुट धर, पिताम्बर धर, दमकत शीश मणी। नंद यशोदा के मन भावन, धन्य-धन्य हैं पतित पावन, संत विप्र के प्राण, प्राण धन, दीनानाथ धनी। पग नूपूर पैजनियां बाजे, रतन सिंघासन कृष्ण बिराजे, श्रीजी बनीं मुरली -मनोहर श्रीराधाजी, संग में सखी सजनी। युगल छवि शोभा कस बरणो, झांकी देख लेलियो शरणो, रंग अबीर बरष कर बरषे, बूंटी और छनी। 🌹🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹 यथार्थ! यही यथार्थ है बाँकि सब मिथ्या। हरि जैसा जीव को कोई दिलवर न मिलेगा..... एक अवलंब तुम्हीं, हरि! मेरे बाकी सभी मील के पत्थर, छूटें साँझ-सवेरे मैंने निशि-दिन जड़ प्रवृतिवश लिया क्षणिक सुख-भोगों में रस अब सुध हुई, काल डोरे कस लगा रहा जब फेरे हे अव्यक्त, अनाम, अनिर्वच ! सोये भी तुम सृष्टि-नियम रच पर यदि मेरी श्रद्धा हो सच नींद रहे क्यों घेरे ! नभ की और टकटकी बाँधे मैं बैठी हूँ पथ पर आधे रहो मौनव्रत भी यदि साधे पल तो रहो अँधेरे एक अवलंब तुम्हीं, हरि ! मेरे बाकी सभी मील के पत्थर, छूटें साँझ-सवेरे 🍁🍁🍁🍁👏👏👏