आप क्या जाने
आप किस क़द्र हो हम में समाये
आप से मिल कर भी
हम कुछ कह न पाये
आप ही दिल में समायें
तो दिल की बातों को जुबाँ
कैसे फिर बनाएं
हर ज़ज़्बात सीधे आपके
लिए ही तो सजाये
दिल की लगी को
आप ज़रा सुकूँ से सुन तो जाएं
आप बसे हो दिल में
फिर भी क्यों बेहाल यें मुझे सताये
दिल की बातें जुबाँ तक न होगी
लाख की है कोशिशें
पर यूँ अब तलब की राह
कैसे बेपर्दा होगी ।
आप यूँ अपनी अदाओं से
भरी महफ़िल में असर
छोड़ जाते है
उफ़ ना मर पाते है
और ना जाने कैसे
तब भी जीये जाते है
यूँ बहुत कुछ कहना भी है ....
मगर आँखों का दीदार बाक़ी भी है
कभी वो शामें होगी
जब आप हमें सुनने आया करोगे
छत पर तन्हाई में ...
कभी वो रातेँ होगी
जब आप ही आँखों के
रूबरू भी होंगे
और ..... .....
सत्यजीत "तृषित"
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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