वृन्दावन रसिकन की वाणी---
भृकुटि बंक गढ मध्य में, नयन कोठरी बन्द।
राधा कृपा कटाक्ष बिन, मिलै न गोकुलचन्द॥
ज्यों ज्यों निरखत राधिका, अनियारे दृग तान।
त्यों त्यों निकरत साँवरे, रुप रतन की खान॥
जय जय श्री राधे कृष्णा !
वृन्दावन रसिकन की वाणी---
भृकुटि बंक गढ मध्य में, नयन कोठरी बन्द।
राधा कृपा कटाक्ष बिन, मिलै न गोकुलचन्द॥
ज्यों ज्यों निरखत राधिका, अनियारे दृग तान।
त्यों त्यों निकरत साँवरे, रुप रतन की खान॥
जय जय श्री राधे कृष्णा !
Comments
Post a Comment