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भीग रहे तेरे ईश्क , अमिता दीदी

भीग रहें हैं तेरे इश्क़ की बरसातों में हम
नाम ले ले तेरा रोते हैं रातों में हम

हैं मज़बूर अपने ही दिल का क्या करें अब
नाम ले लेतें हैं तेरा बातों ही बातों में हम
भीग रहे हैं........

हैं मदहोश तेरे इश्क़ के नशे में ही अब
फिर भी अश्कों से इसकी कीमत चुकाते हैं हम
भीग रहें हैं.......

तुझको ही याद करके बेचैन रहा करते हैं अब
चैन पाते हैं सिर्फ तेरी मुलाकातों में हम
भीग रहे हैं.........

तू ही अपना है आवाज़ यही दिल देता है
वरना हक़ किसी पे यूँ ही नहीँ जताते हैं हम
भीग रहें हैं........

मैं भी कर लूँ मोहबत तुझसे ही तेरे जैसी
यूँ तो करके मोहबत भी निभाते हैं हम
भीग रहे हैं.....

अब तो इश्क़ के एहसास से ही ज़िंदा हैं
तू बिछड़ेगा इस ख्याल से ही मर जाते है हम
भीग रहे हैं......

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