आपसे दिल लगाया कभी तो सुनो ,अब जान निकलती जाती है कितनी बेचैनी सी है इस इश्क़ की पल पल जो मुझे रुलाती है उठती हैं आहें रुक रुक कर ,जाने क्यों अरमान सुलगते हैं अश्कों का समंदर हैं आंखों में फिर भी दिल की लगी जलाती है आपसे दिल लगाया .... अब न कहेंगें किसी से हाल ए दिल अपना, अब तक कितनी रुसवाई हुई कोई तुमको कहे कोई बात ज़रा मेरे दिल को कभी न भाती है आपसे दिल लगाया ..... मुझे इश्क़ करने का इल्म तो नहीं ,तुमने है जो दिया वो कम तो नहीं अब रहा नहीं जाता पल भर भी, हर पल तेरी याद सताती है आपसे दिल लगाया...... बस एक सुनना तुम बात मेरी, साँस आखिरी से पहले आ जाना हर साँस अब तेरा नाम ले, हर आरजू तुझे बुलाती है आपसे दिल लगाया कभी तो सुनो , अब जान निकलती जाती है कितनी बेचैनी सी है इस इश्क़ की जो पल पल मुझे रुलाती है