युगल प्रेम भाव-5 "मेरे दिल की कभी धड़कन को समझो या ना समझो तुम मैं लिखती हूँ मोहब्बत ️पे तो इकलौती वजह तुम हो तुम" मोरपंख पंचरंग लंहगा चोली सजी हैं राधे आज लगती बड़ी अलबेली भोली सखियों संग प्रेम रंग में रंगी खेल रहीं आज आँख मिचोली कुंजों को सजातीं अपनी मधुर हंसी और नव नवेली चितवन से मधूबन को महकातीं गातीं बजातीं सखियन संग खेल खेल में मधुमति प्रकृति के सौंदर्य को लजातीं बाहर राधे भीतर श्याम जु को समाए मोहन मोहन हर श्वास से पुकारतीं सखियन को प्रेम रस का पान करातीं अहा!!आज श्यामा जु निकुंज में सखियों के साथ आँख मिचोली खेल रहीं हैं।दूर से ही श्यामसुंदर जु को अपनी ओर भाग कर आते हुए श्यामा जु वहीं थिर हो जातीं हैं।उनके हृदय से अनुराग छलक रहा है आँखें नम हो रहीं हैं और एक उड़ान भर श्यामसुंदर जु को बाहों में भर लेना चाहतीं हैं।लेकिन ना जाने क्यों ठहर गईं हैं।शायद सखियों के साथ ने उन्हें रोक लिया है। जैसे ही कुछ सखियों की नज़र श्याम जु पर पड़ती है वे एक एक कर प्रिया जु के आगे पीछे आ खड़ी होती हैं और उनको मध्य में छुपा लेती हैं।भला ऐसे कैसे कन्हैया को बिन परिश्रम ही श्या