डोली फिरू, सदा रस माती..तेरो ही गुण गाऊ.,,राधा राधा राधा राधा राधा.....प्राणन प्यारी हित गोपाल की...कैसे मैं तुम को भाऊ.,,भोर भय सेवा कुंज जाऊं,,,,,सोहनी लगाऊ उमंगी उमंगी के,.मन में लाड लड़ाऊ..उड़ उड़ रज़ जब लागे अंगना,..जीवन सफल बनाऊँ.. प्यारी जू जीवन सफल बनाऊँ..तेरी दासी कहाए लाडली .....,हे तुमरे पग शीश झुकाऊ..भोर भय सेवा कुंज जाऊं ,प्यारी भोर भय सेवा कुंज जाऊं ...एहो कृष्ण अलि चेरि रावरी कहाऊ मैं......श्री वन निकुंजन में दीजिए निवास सदा - ,,लाल बलवीर राधा- राधा गुण गाऊ मैं
◆◆◆◆
चाहे कीर-कोकिला का कोप दरसाय रस दीजिये ..
प्यारी जी ! चाहे मुखचन्द्र की मोहे चकोरी ले बनाईये !!
चाहे कर-लता-द्रम , फूल-फल-पल्लव ते..
मधुकर चाहे नेक दया दृष्टि लाईये !!
लालबलवीर दासी दीन है दया की राशि ..
कीजिये जरूर यहाँ जोहि मनभाईये..!!
पर जैसे बने तैसे करूणानिधान मेरी स्वामिनीजू..
हाहा हे ! किशोरी मोहे वृंदावन बसाईये !!
किशोरी जू ! मोहे बस किसी विधि वृंदावन बसाईये !
◆◆◆◆
राधा गुण गाये तहां दौड़ दौड़ जाओ प्यारे
राधा गुण है ना जहाँ भूल के न डट रे
राधा जू की चर्चा सलोनी लोनी होवे जहाँ
सुनिए लगाये कान तहां ते ना हट रे
राधा राधा नाम ही सो काम रखो आठो याम
लालबलवीर जगजाल को ना थट रे
ए रे मन मेरे चेत भूल के ना हो अचेत
राधा रट राधा रट राधा राधा रट रे
राधा राधा राधा राधा
◆◆◆◆
श्री राधा राधा जपो छाड़ी के जग की आस
ब्रज वन विचरत रहूँ करी वृन्दावन वास
रसिकन की संगत कीजे प्रेम पंथ मन धरो त्याग
नित अमृत पीजे कहे लाल बलवीर होये आनंद अगाधा
निश्चय कर चित कहो श्री राधा श्री राधा..
◆◆◆◆
आप भी भाव-रसमयी धारा में बहते है , तो
जुड़िये , किशोरी तेरे चरणन की रज पाऊँ , ग्रुप से ।
और अपना प्रेम-स्नेह सत् संग प्रदान कीजिये ।
भाव , पद , भजन , युगल प्रेम रस और सत्संग की ज्योत्स्ना ।
Comments
Post a Comment