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चरणन मकरन्द लगे हिय पे , भवपद

चरणन मकरन्द लगे हिय पे
और कछु राग न सुहावे
चरण शरण में शब्द न होवें
पग हिलें , प्राण संग डोले
आभा शोभा कहत न बने
देखत बने कबहू ऐसो सहज बने

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