मैय्या कर सुमन को प्यासां मोरां कपोल
लाड सु लगावे छुआवे भावे औ मधु बोल
लाड ना लगावे मोसे , ले दियो मैं माखन ढोल
मरोड मोको कान मिठो बनो वेदां को घोल
काहे दिखावे री कर मैय्या खुल गई जब पोल
दो चार मार रुक ना मैय्या प्रेम री मार नाहीं तोल
... सत्यजीत "तृषित"
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