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ना आना ।।।

ना !
जब तक वो वेणु ही ना सुनाई आवें , ना आना ।
जब तक केवल वहीँ सर्वत्र ना दिखें , ना आना ।
जब तक जिह्वा केवल उनके नाम के अतिरिक्त कुछ भी उचारे , ना आना ।
जब तक तन मन केवल केवल केवल मोहन के लिये व्याकुल ना हो , ना आना ।
जब तक कुछ भी अन्य शेष रहा और आ जाओ तो यूँ तृषित छोड़ जाना ।
जब तक ऐसी तृषा ना हो कि तुम से रहते ही ना बने , तुम व्याकुल ना हो , ना आना ।
तृषित होना है ऐसा कि तृषा तुम तुम तक पहुँचे ,
ना पहुँचे तो ना आना ।

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