हरि अब द्वापर लें चलो , कलि मोहे क्षण क्षण खाबे
जो नाम धन हिय सींचूँ , कलि फेकत धन स्वांग धराये ।।
इनका नाम जगत में सर्वस्व सुंदर साक्षात् कृपामय धन है । सहजे धनी बने । और हम गरीबो (भजनहीन) पर दया करें । नाम के संग दुर्व्यवहार से नज़र नहीँ चुरानी । फ़र्क पड़ना चाहिए । कुछ सम्भव तो होना चाहिये । नाम केवल प्राप्ति का साधन नहीँ । बल्कि उत्कृष्ठ प्राप्त रस सुख ही है , उन्ही का संग है नाम में । अतः नाम के संग दुराग्रह स्वीकार्य न हो , इससे जीवन सिद्धांत बाधित हो तो हो , नाम की रक्षा रहे , धन कहने भर को नहीँ । किसी की हानि नहीँ , अवमानना नहीँ , बस नाम के सम्मान हेतु । वस्तुतः तत्वगत जगत के किसी भी दुर्व्यवहार आदि कार्य से दिव्य सृष्टि को फ़र्क नहीँ पड़ेगा । परन्तु यहाँ प्रेम में नाम के संग खिलवाड़ में असहज होना स्वभाविक और ना होना आश्चर्य है । --- पीड़ा होती है , जब बार आदि व्यवसाय का नाम भी ...... /- सत्यजीत तृषित ।।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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