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Showing posts from January, 2016

ज्ञान और अज्ञान

अबोध , अधम अज्ञानी ! इन्हें कहना भर ही या मानना भी होता है । जो स्वयं को अज्ञानी कह लेते है ! क्या वाकई ऐसा है ! वें अज्ञानी है क्या ? देखियें जो अबोध है ... अज्ञानी है वो तो निश्चित ही प...

भाव कहने चाहिए या नहीँ

भाव छिपाने चाहिये कि नहीं , यें बडी मजेदार बात है , भाव ही है और छिपाने या ना छिपाने का भेद भी ऐसा कैसे होगा ... आसक्त छिपायेगा ! जिसे कब्ज हो वह , कृपण । साफ कहूं तो ! क्युं उसे विश्वास ...

प्रीत को रोग लीला

प्रीत को रोग लाली , का करे है ? या वन में किस संग बतिया के हँस रही है री ....  ऐ री ..... इन झाड संग ? साँची कहू , लाली तू पगला गई है री , पहले भी कही रानी जु को , लाली ने वैद्य को दिखाय दयो । कबहुँ खग-...

कृष्ण मथुरा गमन लीला मंजु दीदी

राधे राधे ब्रज गोपियों ने श्री कृष्ण के साथ इतनी गहरी प्रगाढ़ आत्मीयता बाँधी कि कृष्ण प्रेम ही उनका जीवन हो गया।श्री कृष्ण अति नटखट हैं, उन्होंने देखा कि प्रत्येक दृष्टि...

खेल खेलते बाबा

खेल खेलते बाबा ---- करीब 50 - 60 वर्ष हो गए उन्हें गोलोक में गए । यें ब्रज के एक ख्यातिप्राप्त सन्त थे । मस्त इतने कि बस क्या पूछना कहो चोरों को भी माखन चोर समझ उनके संग खेल लेते । कभी अप...