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श्याम अब मत तरसाओ जी

श्याम अब मत तरसाओ जी।
मन मोहन 'नंदलाल' दया कर दरस दिखाओ जी।।
व्याकुल आज आपकी राधा, माधव आओ जी।
तब दर्शन लगि तृषित दृगन कौ सुधा पिलाओ जी।।
तुम बिन प्राण रहै अब नाहीं धाय बचाओ जी।
प्राणधार! प्राण चाह निकसन, वेगी सिधाओ जी।।
राधा कहत, गए राधा के, पुनि पछताओ जी।
राधा बिन श्याम नहि ' राधा-कृष्ण ' कहाओ जी।।

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