Skip to main content

तुमसों बात न कोई गोई

तुमसों बात न कोई गोई।
जैसो भी हों नाथ तिहारो-यही एक बल मोई।
साधन-आराधन न भयो कछु,विषयन में वय खोई।
फँस्यो रह्यौ जग के जंजालन,जग-चिन्ता सिर ढोई।
स्वारथ ही मान्यौ परमारथ,रचि-पचि साध्यौ सोई।
तदपि न सो हूँ सध्यौ स्याम कछु,व्यर्थ हि वयस विगोई।
अब कछु चेत भयो मनमोहन तुव करुना कछु जोई।
चरन-सरन करि वरन प्रानधन पर्यौ पौरि सब खोई।
खोय सभी जो मिलहु स्याम तुम तो सब विधि सुख होई।
तुम मेरे जीवन के जीवन,चहौं न मैं सुख कोई।
कहा करों का कहों न जानों,मानों सरबस तोई।
तुव करुना ही है बल मेरो,होनी होय सो होई।

Comments

Popular posts from this blog

युगल स्तुति

॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...

वृन्दावन शत लीला , धुवदास जु

श्री ध्रुवदास जी कृत बयालीस लीला से उद्घृत श्री वृन्दावन सत लीला प्रथम नाम श्री हरिवंश हित, रत रसना दिन रैन। प्रीति रीति तब पाइये ,अरु श्री वृन्दावन ऐन।।1।। चरण शरण श्री हर...

कहा करुँ बैकुंठ जाय ।

।।श्रीराधे।। कहाँ करूँ वैकुण्ठ जाए.... जहाँ नहीं नंद, जहाँ नहीं यशोदा, जहाँ न गोपी ग्वालन गायें... कहाँ करूँ वैकुण्ठ जाए.... जहाँ नहीं जल जमुना को निर्मल, और नहीं कदम्ब की छाय.... कहाँ ...