तव पद रज उड़त ज्यों , त्यों प्राणन प्राण उड़ जावें ।
कछु लागे भाल , कुभाग भाल अंक हट जावें ।
कछु लागे मुख तब , और कछु राग न रह जावें ।
कछु लागे हिय ते पदरज सुगन्धी , हित बसत पिय उछल जावें ।
लागे अंग-अंग जब तब उन्मादिनी सखी नृत्य ठौर कहाँ पावें ।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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