"मैं चली मैं चली
देखो प्यार की गली
मुझे रोके न कोई
मुझे टोके न कोई
मैं चली मैं चली"
ऐसा जादू चला सांवरे का
कि दिल दिवाना हो गया
मन भरता नहीं निहार निहार
हुई जाती हूँ निहाल निहाल
दिल लगा लिया ऐसे
कि आज दिल्लगी का मन हुआ
अरी सखी
बड़ा नटखट पिया मोरा
बड़ा चंगा ते सोहना है
आज बड़ा अजब प्रेम कसम से होना है
करते हैं वो मनमानी आने जाने की
आज अपना मन भी शरारत में उलझा है
करनी है कुछ दिल्लगी प्यारे से
राधा जु का मन आज बहका बहका है
बुला भेजा है प्यारी ने हर्षिनी को
कुछ संगीन आज मनचला सा करना है
भोली राधे बोलीं कि आज मान नहीं करना है
कुछ करना है पर आज सब अटपटा होना है
आ बातों में श्यामा जु की हर्षा गई
कर डाली एक खुराफात कि
आज छलिया को छलना है
आगाज़-ए-महोब्बत में
कोई अंजाम न सोचना है
अरी सखी
आ बना दूँ तुझे दुल्हन
आ सजा दूँ तुझे मधुरम
कि आज मोहन का दिल तुझे जीतना है
यूँ कह कर सखी को सजाया है
सुंदर सलोनी का भेस राधा सा बनाया है
नख शिख तक ढक कर घूंघट खूब झुकाया है
आए हैं श्याम तो श्यामा कह सखी को
मिलने का अद्भुत संयोग बनाया है
मान में हैं राधा जु कह कर
श्याम पिया के दिल को ज़ोरों से धड़काया है
अब लगे वो मनाने सखी प्रिया जु को
घुंघट नाभि तक गिर आया है
मान जाओ राधिके अब न होगी देर कभी
देखो मेरा मन व्याकुल हो आया है
मान मान में कहीं ढल न जाए दिन ही
बुझ न जाए दीप वो
जो प्रेम वाला तुम्ही ने जलाया है
करता हूँ बेइंत्हा महोब्बत तुमसे
पर तुम्हें मनाने में दिल लहु हो आया है
छोड़ दो अब ये झूठा मान प्यारी
कह पिया ने सखी का हाथ थाम लिया
राधे राधे मान जाओ कह कह कर
पिया ने सखी को पहचान तो लिया
घुंघट खोलो किशोरी अब मुख खोलो गोरी
सांवरे ने कई कई मनुहार किए
राधे रहें जैसे खुश वैसे ही पिया ने सखी के भी मान सहे
लगे मनाने वो सखी को देख अब श्यामा हैं दम भरें
दोनों की ही आँखों से अब प्रेमअश्रु हैं गिरने लगे
देख ऐसा प्रेम वर्षण सखी से भी सहा न गया
रोते सकुचाते घुंघट अब खोल ही दिया
देख चेहरा सखी का पीला पड़ा
श्याम पहले तो मुस्कुराने लगे
फिर पकड़ कान रोती हर्षिनी का
ठहाके मार हंसने लगे
क्या सोचा था पगली मैंने न तेरी खुराफात जानी है
अब क्यों तुम और राधे हंसते हंसते रोने लगे
इतना कह कर सांवरे ने जाती राधा जु को थाम लिया
कहाँ चली प्यारी
अपने मोहन से क्या तू खफा है
तेरे अगाध प्रेम की खातिर ही तो तेरी सखी का भी मान सहा है
अब जाओ न तुम यूँ नज़रें चुरा
देदो अपने प्रेम की भिक्षा
मोहन ने राधे को मना ही लिया
अब चले वो प्रेमी युगल प्रेम पथ पर
देख देख सखियों का मन हर्षाया है
बलिहार युगल जोड़ी चिर जीवे
सब ने मिल मंगल गीत गाया है
"मनचली मनचली
मेरे प्यारे की गली
मैं जो चली संग तो
उनकी संगिनी हो गई"
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