मोहब्बत क्या हुई तुमसे हमारी जान जाती है
तुम्हे क्या मालूम आशिकी कितना सताती है
मैं खुद को रोक लेती हूँ रूह पर रूकती नहीं
जिस्म से ये जुदा होकर तुम से मिलने आती है
अब महफ़िल में भी मुझको अकेलापन सताता है
भरी महफ़िल में तन्हा हूँ तन्हाई मुस्कुराती है
डर लगता है अब ज़माने से सब और भीड़ नज़र आती है
बेगानी हूँ खुद की देह से और ये सब अपने भी पराए लगते हैं
तुम बिन न लगता कहीं ये मन अब सबसे रूख्सत-ए-महफिल कहती हूँ
तन्हा हूँ पर तन्हाईयों से भी लड़ती रहती हूँ
ना ये हों तो तुमसे हाल-ए-दिल ब्यान न कर पाती हूँ
तुम से और अकेलेपन से रिश्ते जब जोड़े हैं
तो ज़माने भर से अलविदा कह पाती हूँ
आगोश में तेरे आके अब हर गम-एहसास से पर्दा रखती हूँ
महक हो गई हूँ और हर शह को तेरे दम से महकाने की अदा रखती हूँ
मैं मैं नहीं रहती पहचान खो बैठी हूँ
तेरे चरणों से लिपट कर खुद को वहीं भूल जाती हूँ
मुझमें समाए हो तुम कुछ ऐसे कि अब कहीं न मैं समाती हूँ
हो जाती हूँ मैं तुम और तुम में अपना पता खो जाती हूँ
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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