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मत देखो ऐसे मैं खो जाती हूँ , सलोनी जी

मत देखो ऐसे
मैं खो जाती हूँ
कैसे चाहने वाले हो
मैं रोती हूँ
तुम मुस्करा देते हो
देखते देखते तुम्हें
मेरी प्राणों पे बन आती है
और तुम आनंदित होते हो
कोई विकल्प नहीं बचता है
मैं अश्रु बिंदु जल भर में डूब जाती हूँ
कहो कैसा ये प्रेम है तुम्हारा
दरस कर कर भी प्यासी ही रहती हूँ
तुम हो अजब खरीदार सांवरे
बेमोल ही बिक जाती हूँ
आप चोरों की सरकार
आपका तो विनोद होता है
और मेरा चित्त बहक जाता है
भूल जाती हूँ लाज सब हया
तुम्हारी इक झलक पर मैं लुट जाती हूँ
क्यों रंगीले सैंया तुम
वक्त बेवक्त आँखों में आ समाते हो
उतरते हो भीतर यूँ
हस्त यंत्र चालित कर देते हो
तुम्हारी अलबेली अलकावली पे
भाव विमोहित हो जाती हूँ
देहभान भूल कर सब
तेरे आगोश में आ जाती हूँ
लगता है इस दुनिया की नहीं मैं
जाने कहाँ किस जहां में खो जाती हूँ

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