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नादाँ है हम जो तुमसे मुहब्बत कर बैठे , सलोनी जी

"दिल की गलियों में आकर श्याम हमारी नस नस में समा जाओ
रुठा है ये दिल तुमसे सांवरे एक बार आकर मना जाओ
आंखों ही आंखों में तुमने हमें घायल कर दिया
दीदार को तरसें ये अखियां अब तो दीदार करा जाओ"

नादां हैं हम
जो तुमसे महोब्बत कर बैठे
अपना हर लम्हा
तमाम ज़िंदगी तेरे नाम कर बैठे
सोचा था तुम संग निभ जाएगी
हंसते मुस्कराते कट जाएगी
पर लगता है हम मौत को गले लगा बैठे

सौ दर्द हैं महोब्बत में बस एक राहत तुम हो
लत जो लगी है मुझे मेरी आदत तुम हो
तुमसे शुरू तुम पर खत्म ज़िन्दगी
मेरी पहली ख्वाहिश आखरी चाहत तुम हो
तू दर्द दे और मैं उस दर्द से भी इश्क करूँ
एक तेरा शौक है तो एक मेरा है जुनून
तुम जब से हमसफ़र हो गए
रस्ते कितने आसां हो गए
दिल ऐसे लगा तेरी बातों से दर्द सारे बेअसर हो गए
          
मन में उठा तेज तूफान है
अरमानों  की आँधियाँ
आरजूएँ हैं बेताब तेरे लिए अब
दिल बन गया है वृन्दावन धाम
उतरने लगी निग़ाह में शोखियाँ अब
खिल रही मोहब्बत की कलियाँ
तुझे खबर क्यों नहीं अब
पीर देख हो रहे सब ही हैरां
तू दुनिया बनाने में मसरूफ़
यहाँ उजड़ रहा दिल का जहां
राधिका सी हूँ मैं मीरा सा मेरा नेह
हर पल तेरा ही ख्याल
आओ इस दिल में आओ
रो रो कोई पुकार रहा

मैं हूँ एक अधूरी सी कहानी तेरी
कभी पूर्णता से तृप्त और कभी प्यासी आकाँक्षाओं में तपती सी
तुम हो एक अंतहीन प्यास मेरी
और ऊंची तेरी उड़ान
कभी बरसाते हो अंतहीन स्नेह और कभी
सिर्फ धूप ना छांव और ना नेह

जब जब बरसते हो मुझ पर प्रेम बन
खिल उठता है मेरा मन और
अंकुरित होती है मेरी देह
युगों युगों से मुझ पर हो छाए
मुझे अपने गर्वित अंक में समाये
सदियों का अटूट हमारा नाता है लेकिन
फिर भी कभी सम्पूर्ण ना हो पाता है

सदियों से यही होता आया है और होगा
जितना करीब आऊं
तुम्हारा सुखद संपर्क उतना ही ओझल हो जाता है
लेकिन इन सब से मुझे कैसा डर
अंतहीन युगों के अन्तराल से परे जब चाहूँ
सतरंगी इन्द्रधनुषी रंगों की सीढियां चढ़ती हूँ
रंगीले कोहरे में रोमांचक नृत्य करती हूँ
परमात्मा के रचित मंदिर में तुम पर अर्चित होती हूँ
तुम्हें छू कर तुम्हें पा कर तुम पर समर्पित हो कर
फिर खुद ही खुद तक लौट आती हूँ
अब ना मिलने की ख़ुशी है
और ना ही ना मिलने का गम
मैं अब ना मैं हूँ और ना तुम हो तुम
हैं तो बस अब सिर्फ हैं हम

सिर्फ कहने भर को हूँ तुमसे मैं दूर
तुम्हारे आकर्षण में गुँथी
परस्पर आत्माओं के बंधन में बँधी
तुम्हारी किरणों के सिंधूरी रंगों से सजी
तुम्हारे मोहक संपर्क में मेरी नस नस रची

मैं रहूँगी तुम्हारी प्रिया
और रहोगे तुम मेरे प्रिय
तुम्हारी दर्द से व्याकुल मारी मारी
फिर भी है मिलन के लम्हों की खुमारी
यादों में खोई हसरतों में सोई
सदा तेरे ख्यालों में खोई
न जाने तुम दिखते नहीं अब
मेरी आँखें हैं हर पल रोई

आनंद था जब इतना तो
रही तेरे आलिंगन में
कह गई तुम से देखो अब
वियोग मैं भूल गई
तुमको शायद बुरा लगा
विरहनी बना गए
अपने प्रेम की चादर औढ़
आखिरी बार मुस्करा कर
तन्हा बेदर्दी छोड़ गए तुम
क्या इतना सब सुनते हो
कि अब हमें गुनगुनाना भी भूल गए तुम
क्या इतना तुम चाहते हो
कि अब चाहत की खातिर
आना ही भूल गए तुम

श्याम सच कहती हूँ
गर न आए तो मर ही जाएंगे हम
तेरी गलियों में कंकर उठाते
निकुंज को भूल ही जाएंगे हम
पहले हम देखते थे तुम्हें
जिस नज़र से
वो नज़र ही खो देंगे हम
अगर खुश हो तुम भुला कर
तो तुम्हें याद आना ध्यान लगाना छोड़ देंगे हम
आगोश में जो रखा तुमने
उस अनवरत प्रेम को भूल ही जाएंगे हम
आकर जो तुमने नेह लगाया न
तो हर नाता तोड़ ही लेंगे हम
न जो हमने तुम्हें कभी देखा तो
देखा था तुमने हमें कभी
ये भी भूल जाएंगे हम
इश्क है अगर मरण ही तो
प्यारे तेरे होने की तड़प लेकर
मर ही जाएंगे हम
सच कहती हूँ
जिया न गया तो मर ही जाएंगे हम

"मेरे दिल का दर्द किसने देखा है
मुझे बस श्याम ने तड़पते देखा है
हम तन्हाई में बैठे रोते हैं
लोगों ने हमें महफ़िल में हँसते देखा है"

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