अरे....ये क्या कौतुहल है...कुंज मे कुछ दूर खडी एक सखी समझने का प्रयास कर रही है...आज राधे,श्यामसुन्दर,सखिया न जाने क्या हुरदंग कर रहे...कोई दल नही बना रखा...सबने हथेलियो पर पीले रंग का न जाने क्या लगा रखा है....एक दूसरे को मुख पर मल रहे,पकड पकड कर...खूब परिहास हो रहा....कोई संकोच नही,कौन मंजरी,कौन किंकरी...कोई नही जानता...बस रंग रहे है....सब के मुखचन्द्र स्वर्णमय से हो गये...वो श्यामसुन्दर....वो तो....लग रहा बादलो मे से जरा जरा सुर्य देव झाँकने लगे है...इतने मे ही कुछ सखियो की नजर उधर उठी,संकेतो से श्यामाश्याम को बताया गया....युगल देख मुस्कुराये....वो समझ गयी,दोनो हाथो से अपना लहंगा उठा वो पुकारती हुई दौडी...न....न....न राधे.....
नही श्यामसुन्दर.....दौड रही... पीछे पीछे श्यामाश्याम...सखिया सब.....कुंज मे यहा वहा,कभी किसी वृक्ष के चारो ओर....कभी छोटी छोटी क्यारियो से कूदकर......बहुत दौडी पर अंत मे पकड ली गयी....वो बीच मे....सामने श्यामाश्याम.....चारो ओर सब सखिया घेरा बना.....सब खूब हसी....क्यू री,अब कह....क्या हो तेरा...सहसा वो दौडकर राधे जु के पीछे जा,कमर मे हाथ डाल लिपट गयी....दायी ओर से मुख कमर से सटा लिया....राधे....मै न लगवाउगी.....वो बडे जोर से हँसी...न...न....लगवाना.....
सखी कही...न...नही लगवाउगी....
श्यामसुन्दर....ऐ सखी,चल बाहर आ....राधे बोली,देख सीधे सीधे लगवा ले ....
श्यामसुन्दर...और सब सखी लगायेगी...
सखी कुछ सोच बोली....ठीक है,लगवा लूगी... पर एक शर्त...
दूसरी सखिया बोली...ओहो,तू शर्त रखेगी.....
श्यामसुन्दर बोले,कह शर्त.....
सखी बोली...जब कोई सखी मुझे रंग लगायेगी तो राधे,श्यामसुन्दर को और श्यामसुन्दर राधे को हर बार रंग लगायेगे....
बोलो मंजूर है....
सब सखिया बोली,ऐसा क्यू....
सखी कही...इससे जितना रंग मुझे लगेगा उतना ही श्यामाश्याम को....नही तो मेरा अधिक न हो जावेगा...
सबने हाँ मे मिलायी...
वृंदा सखी को गिनती के लिए पास खडा कर लिया गया....
एक एक सखी ने रंग लगाया....उतनी ही बार युगल ने एक दूजे को...
दोनो का कोई अंग न बचा....
आज कोई सखी नही पहचान रही,कौन राधे,कौन श्याम....
दोनो ही प्रेम के प्रदिप्त सूर्य हो गये....
एक रंग...एक मुस्कन....सब एक.....हर और वही स्वर्णमयी आभा.....
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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