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सुनो सुनो न सुनो भी अब , सलोनी

सुनो
सुनो न
सुनो भी अब
छोड़ो मुझे
बहुत हुआ अब ये सब
बात करो मुझसे

हम्म्म् बोलो।।
अरे।।हटो।।हटो भी।।
हाथ दो अपना।।हाँ।।
अब ठीक है

कहो क्या है
हाथ टिकते नहीं न तुम्हारे
दोनों हाथ देदो

लो।।मर्ज़ी तुम्हारी।।
हम्म्म्।।अब अच्छे लग रहे हो

अच्छा।।देख लिया न
अब हाथ छोड़ो मेरे

नहीं।।आज नहीं
आज मुझे अपने पहलू में बिठालो
और बात करो
करोगे ना
बोलो

पगली।।
बात मुंह से होती है हाथ से नहीं
हाथ छोड़ दो

नहीं बोला ना
तुम्हारे हाथ टिकते नहीं
छेड़ते रहते हो यहाँ वहाँ
मुझसे बात नहीं होती फिर

ठीक है।।कहो
कान्हा मैं तुमसे प्रेम करती हूँ

हाहाहाहा।।
तुम्हें पता चल ही गया आज
पागल।।
अरे।।हँसते क्यों हो
देखो बात न करूँ गी कभी फिर

अच्छा।।रह सकोगी क्या
एक पल न दिखुं तो बेचैन हो जाती हो
मुंह फूल जाता है तुम्हारा
और रो रो के आंखें सुजा लेती हो
ओह।।चुप रहो अब
बहुत बोलते हो
और तुम।।तुम तो नहीं बोलती न
हाथ हटाओ मुख से
हम्म्म।।लो हटा लिया
अब मैं बोलुं
नहीं कहुंगा तो नहीं बोलोगी ना
तुम ना।।
बोलुंगी और तुम सुनोगे।।समझे
पता है नहीं तो फिर रूठ जाओगी

अच्छा बताओ
तुम कितना प्यार करते हो मुझसे
बोलो न।।ऐसे क्या देख रहे हो अब
हाथ छोड़ो
छोड़ो।।मैंने कहा न हाथ छोड़ो
हा।।गुस्सा क्यों
कुछ गलत कहा क्या
नहीं।।अरे हाथ छोड़ो तो बताऊंगा
अच्छा जी।।नहीं
ऐसे ही बताओ
आह।।पगली जितना तुम मुझसे करती हो न
उससे कहीं ज्यादा मैं करता हूँ तुमसे
तुम जितना सोच भी नहीं सकती न
उससे भी कहीं ज्यादा

हाय।।सच।।
अभी भी यकीं नहीं तुम्हें
तो आज यकीं दिलाऊं
ना।।नहीं रहने दो
क्यों।।अब लजाती क्यों हो
हम्म्म
अब बताओ

पूछो अब
बात करने के लिए भी तुम्हें सोचना पड़ता है क्या

पगली।।तुम क्या बात करोगी मुझसे
तुम बस प्यार करो
अरे रूको।।
बड़े उत्तावले हो तुम
सोचने तो दो

सोचने दो।।हाहाहा
बुद्धि और बात
अब दोनों के लायक नहीं हो तुम
हाँ ।।सही कहा
तुमने ही तो हर ली है मेरी बुद्धि
बात करने लायक न छोड़ा
तुमसे क्या
अब किसी से बात नहीं होती मुझसे

करनी है क्या तुम्हें
किसी से बात
नहीं।।नहीं करनी।।कभी नहीं
बस तुमसे करनी है
पर वो भी कहां होती है अब
सोचा था बहुत सारी बातें करूँगी
लेकिन देखो
कुछ सूझ ही नहीं रहा अब
सच।।तुमने न
पागल कर दिया है मुझे
तुमसे बात करना या अकेले रहना
अब यही अच्छा लगता है बस
बताओ ना।।ऐसा क्यों

पता नहीं
अरे।।तो किसे पता है
वो भी नहीं पता
जाऊँ अब
नहीं।।क्यों कहाँ जाना है तुम्हें
मुझे छोड़

हाँ तो क्या करूँ
बात तुम्हें नहीं सूझती कोई
प्यार करो तो शर्माती हो
तो क्या करूँ फिर ।।बोलो

बस।।निहारने दो
आज मुझे देखने दो तुम्हें
अच्छा।।तो ठीक है
डालो मेरी आँखों में आँखें
और फिर बैठी रहो घंटों

हाए।।अगर तुम मुझे देखोगे
तो क्या मैं देख पाऊंगी
नहीं ।।

अरे ।।
तब तो तुम मेरी तस्वीर लेलो
और निहारो
मैं तो चला

नहीं नहीं
ऐसे ना जाओ
तो क्या करूँ
तुम्हें देखुं नहीं
छेड़ूं भी नहीं
तो क्या

सुनो वंशी बजाओ ना
पागल हो गई हो क्या
वंशी बजाई तो सब सखियां दौड़ी आएंगी
तुम्हें क्या मेरे साथ नहीं रहना

तो बताओ
क्या चाहते हो
मानोगी तो
हाँ।।हाथ छोड़ो और छूने दो मुझे

ना नहीं
अरे कहाँ चली यूँ हाथ छुड़ाके
रूको

नहीं पकड़ पाओगे
अच्छा।।ऐसा क्या
तो।। लो अब छूट के दिखाओ
आह।।छोड़ो
ना
छोड़ो ना
नहीं।।अब कभी नहीं छोड़ना तुम्हें

अरे।।अरे।।फिर भागी
भागो कहाँ तक भागोगी
आह।।
हाँ हाँ
गिर जाओ यमुना में
भागो और भागो
अब बोलो
कूद जाओ

नहीं।।मैं क्यों कूद जाऊँ
तैरना नहीं आता डूबा दो मुझे
आहा।।फिर तो और भी मज़ा आएगा
मैं धक्का दूं
आह।।
क्यों।।क्या करते हो तुम भी
चलो ना।।आज भीगते हैं
आनंद आएगा
शर्माती हो
तो तुम्हें भी भीगना है आज

अरे।।नहीं रूको
ना।।अब तो पानी में ही गोद से उतारूंगा
आह।।उतारो ना
अमुम्म्हूं।।
ऐसे मत करो ना मोहन
ऐ ये लो उतार दिया यमुना जी में
अब बताओ
भागोगी।।नहीं ना।।
भिगादूं तुम्हें।।तुम मुझे भिगोदो।।

आहा।।पानी की फुहारें
और हंसी की आवाजें
दोनों प्रेम पंछियों के पंखों से उठती जल तरंगें
और छनछनाहट यमुना जी की लहरें
दोनों प्रेम वार्ता के बाद
और जल क्रीड़ा के बाद
बंध गए प्रेम जाल में
सुंदर सुंदर भीगे से वस्त्रों में
सिमट गए गहन आलिंगन में
ऐसे जैसे हंस हंसिनी हुए जल मग्न
प्रेम रस भरी यमुने में
दोनों राधा माधव खो गए एक दूजे में

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