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तेरे नयनों से प्रीत लगाई है कान्हा , सलोनी जी

तेरे नयनों से प्रीत लगाई है कान्हा
अपने नयनों में हमें बसा लो तुम
बना के सुरमा हमें अपने काजल में मिला लो तुम
रहेंगे सदा तेरे नयन कमल में
अपने नयनों में हमें छुपा लो तुम
मेरे कान्हा मेरे मुरलीधर

हे राधे
क्या कहुं तुम्हें इस दिल की
कभी तुम से कुछ छुपा ही नहीं
दलील-ए-इकबाल करने के लिए
कोई लफ्ज़ ही पूरे नहीं
तुम बिन राधे मेरा मोहन संग इश्क
लगा कभी पूरा नहीं

जीवन दायिनी हे किशोरी
तुम बिन कोई ऐसी शक्ति नहीं
जिस बिन कोई प्रेमिका कभी पूर्ण हुई
हे क्लीं करूणा की अधिष्टात्री
हे राधा तत्व दायिनी
युँ सुधि लेना नवलकिशोरी 
बरसाना की सेविका में गिनती हो मेरी

देखा जब जब श्याम को
नज़र आई उनमें भी तू ही
जैसे मेरा श्याम
तुम बिन हो अधुरा ही
छु लिया जब श्याम ने मन को
अक्स तेरा नज़र आया वहीं
बंसी की धुन पर राधे
संग तुम्हारे नाचती डोलती फिरूं
तेरे चरणों की रज से ही राधे
मोहन मांग सिंदूर सजाया वहीं
तब से ही राधे मेरी
हुई कृष्ण सहचरि
और दासिका तेरे चरणों की

सुनो राधिके हरि प्रिय
दृग बिंदु जब हरि की खातिर बहे
इस जग से नयन मोड़े थे
तेरे और मोहन की प्रीत से
अपने सब सपने संजोये थे
असुवन हार राधे
तुम दोनों के लिए पिरोये थे

आज जो तुम ने अपनाया है
पुष्पों से माँग को सजाया है
तो सब अपने हुए पराये से
अब नज़र ना किसी से मिलाती हूँ
मुस्कान हरि सी जो चेहरे से छलकती
नयन झुका आँखों की नमी को छुपाती हूँ
देख न कोई ले मेरे गालों की लाली
नव दुल्हन सी शर्माती हूँ
बाहों में सांवरे की खुद को छुपा लेती हूँ
हर छुवन में मोहन का एहसास पाती हूँ
होती जो महाबली सी तो
दिल चीर के सब को दिखला देती
अब तुम बिन न कोई बात सुहाती
इसलिए सकुचाई सी सबसे विलग रहती हूँ

हे राधे बड़भागिनी स्वामिनी मेरे सरकार की
कोई इच्छा कोई जग में न दूजा
जिससे हृदय की इक चाह कहुं
तुम से हे श्याम प्रियतमा आज
दिल की बात कहुं
श्याम तो अपने प्रियवर हैं
उनसे हर शरारत अच्छी लगती है
करूँ कोई शिकायत ही उनसे
तब नज़ाकत सी लगती है

हरि प्रिया कृष्ण मानिनी जु
हूँ काबिल तो नहीं फिर भी
आज आप से कुछ कहने की मन में यूँ आह सी उठती है
रख लो चरणों की दासी बनाकर
सोंप दो सेवा कोई ऐसी
जो रहुं सदा श्याम अखियन में
करूँ प्रायश्चित सब भूलों का
रहूँ निखरती सब सखियन में
देखुं इत उत जित भी
श्याम संग तुम्हें
रहूँ संवरती अश्रु जल से
अब विरह वेदना सी हुई साधना मेरी
प्रेम हुआ हिये की पुकार ही
भक्ति रस में यूँ भिगादो राधिके
तपन मिटे भव संसार की

हे राधारानी लाडली माँ
प्यारे मोहन की प्राणों से प्यारी
राधारानी मेरी महारानी
मेरे सर पर हाथ रख दो राधारानी
सबको भव से पार करदो राधारानी
आज हमारी बात मान लो राधारानी
वृंदावन का वास देदो राधारानी

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