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सलोनी भाव 1

"लोग कहते हैं किसी एक के चले जाने से
जिन्दगी अधूरी नहीं होती.....!
लेकिन लाखों के मिल जाने से भी,
उस एक की कमी पूरी नहीं होती....!"

इतना दर्द तो मौत से नहीं होता होगा
जितना तेरी खामोशी से होता है सांवरे
मौत तो आ जाती होगी सांसें रूकने से
तुम न जाने कब आओगे
कैसे शायद धड़कनें थमने पे
इश्क-ए-इबादत तो कर लिया
क्या अंजाम होगा भूल गए सोचना ये
एक तो महोब्बत करली
और ज़िंदगी भी उसके नाम करदी
जिसे देखा न कभी ज़माने भर ने

मुझे मत सताओ
मुझे मत तरसाओ हरि
मैं दासी तेरी जन्म जन्म की
अब मुझे अंक लगाओ हरि
अश्रु बह जाते हैं तुम्हारा नाम ज़हन में आते ही
ज़ुबां ले नहीं पाती कि लड़खड़ा जाती है पहले ही
तस्वीर देखते ही मुस्करा देती हूँ
नम आँखों से मगर जुदाई सही नहीं जाती

आओ हरि
बतादो पता अपना
या कोई जिसने तुम्हें पाया हो
कह दो उनकी चरण सेवा करूँ
कहो किसे पुकारूं
किसकी चरण रज मस्तक धरूं
कहो कैसे तुम तक आऊं
करो कुछ न मैं कहीं भटक जाऊँ
मत सताओ कि आ जाओ
अब पल न धीर धरूं

तेरी महोब्बत के दिए दिल में  जला बैठी हूँ
मैं खुद भी जलती रहती हूँ मोहन
औरों को भी जलाती हूँ
तुम तो आते नहीं पास मेरे
मैं किसी के पास जाती नहीं हूँ
तुमसे दिल लगाया है ऐसे
कि किसी की परवाह नहीं
औरों को मेरी और मुझे तेरी फिक्र रहती है

बताओ तूने ये प्रेम वाली जोत जलाई क्यों
सताना ही था तो आकर प्रीत बढ़ाई क्यों
रूलाना ही होता है तो ये लीला रचाई क्यों
आ जाओ अन्यथा चले जाओ
विरह बेल ये उगाई क्यों
क्या तुम देखते नहीं यूँ तड़पते
या तड़प ही है तुम से प्रेम सगाई

तेरे ना होने से बस इतनी सी कमी रहती है
मैं लाख कोशिश करूँ मुस्कराने की
मेरी आँखों में नमी सी रहती है
तुमसे महोब्बत तो कर ली मुरारी
लग रहा है तड़पना ही होगा
चोट सीने पे खानी पड़ेगी
मौत के बिन ही मरना होगा
वैसे दिल की भी गलती नहीं है
दोष नजरों का सारा है मोहन
हम लड़ा बैठे तुमसे निगाह
जो किया वो तो भुगतना पड़ेगा
दिल से आरज़ू के दिए जलते रहेंगे
आँखों से आंसु निकलते रहेंगे
तुम शमा बनकर दिल में रौशनी करना
हम मोम बनकर पिघलते रहेंगे
तुम आना न प्यारे
हम यूँ ही जज्बातों में बहते इंतजार करते रहेंगे

"अर्पण मेरे हैं सदा तुममें जीवन-प्राण।।
तुम्हीं एक आधार हो, तुम्हीं परम कल्याण॥ तुम ही मेरी परम गति, प्रीति बिना परिमाण। मिलो तुरत, मेरा करो विरह-कष्ट से त्राण॥"

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