तुमि जानत मोरे प्राण मनवाणी । मैं भी न जानूँ , जानो तुमहि । का दरद अति विरद विषद विपद दुर्गम शेष । कौ से कहू , मैं ही न जानूँ , भयो जो दरद विशेष । हिय फाटत सुनत पद तोरे जबहि करत वायु ...
जय राधे!! ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा रंगीन तो है बदनाम सही मुझ पर तो कई इल्ज़ाम लगे तुझ पर भी कोई इल्ज़ाम सही इस रात की निखरी रंगत को कुछ और निखर जाने दे ज़रा नज़रों को बहक जाने...
यामिनि एक रसमय गिलहरी भाग 1 मेरे प्रियतम् ..... कब से रस क्षेत्र के द्वार पर हूँ इन लताओं और वृक्षों पर चढ़ उतर खोज रही हूँ किन्हीं को , किन्हें ? अरे मेरे प्राण सर्वस्व प्रियाप्रिय...
भाग-7 राधा कान्हा को देख राधे खुद को रोक ही न पातीं हैं भाग कर तो वो गईं लेकिन नज़र मिलाने से सकुचाती हैं आकर उनके समक्ष वो बस एक ही कदम की दूरी पर रूक जाती हैं पलकें हैं झुकी उनक...
भाग-6 समझ नहीं आ रहा यहाँ देखुं या वहाँ।चंचल मन हर और भाग रहा है।सब देखना चाहता है।इधर प्रिया जु जो वेणु धुन में मुग्ध हुईं शीघ्र अति शीघ्र श्रृंगार पूर्ण हो जाए ऐसा चाहती है...
भाग-5 प्रियतम!!!! हाँ प्रियतम ही तो हैं मुझे तो श्याम ही दिख रहे हैं श्यामा जु में वही तो हैं उनकी छवि श्यामा जु में झलकती है और श्यामा जु को हर पल संग का एहसास दिलाती है।खुद वो अप...
भाग-4 अहा।। क्या हुआ होगा ऐसा हाए सोच कर ही दम भरती हूँ ऐसे सुखद क्षण!!! अरी देख लेने मात्र से मेरी ये हालत जिसका तुम तो अनुमान ही लगा सकोगी तो फिर मेरी प्यारी जु की दशा तो स्वभावि...
भाग-3 आ गईं।आ गईं।श्यामा जु आ गईं। मेरी श्यामा जु मेरी----मेर---श्यामा जु----प्यारी श्या ---कहते कहते कंठ भर आया।अश्रु जल बिन्दु से खुद को भिगो रही।अपनी ही देह को जैसे पापमुक्त होने क...
भाग-2 हाँ,फिर भी ये बेचैनी क्यों? अरी बेचैन तो होना ही होगा ना।नहीं तो मिलन संभव ही नहीं और इस लिए भी कि फिर से मदमस्त हो जाऊँ तो रस क्षेत्र की राह ही न भूल जाए।प्रिया जु की पायल क...