राधे राधे
प्रेम कृपा का स्नेहिल नाता मुझसे जोड़
मेरे सारे अवगुण पाप धुला दो प्रभु
इक-इक पल तुम्हें करूँ समर्पित
नवनीत-हृदय में तिहारे स्थान न हो
तो चरण-कमल में ही मुझे बिठा लो।
तीव्र-हृदय-लालसा पूरी हो जाये।
आँसू से धुल-धुल कर मन मेरा मैला
निखर-निखर प्रति पल गीत तिहारे गाये
मन-वीणा के तारों पर सतत झंकृत
गहन राग तुम्हारे तुम्हें ही सुनाये
कामना कला की तिहारी स्वप्निल
सौंदर्यमयी मूरत साक्षात सजीव हो जाये।
बढ़ रही अभिलाषा दरस परस की
अधरों से फूटते बोल तुम्हारे
सूने तट पर खोई जीवन पतवार
इस बीहड़ बेला में अब हाथ तिहारे
खेवो उस पार नाविक बन मेरे
तम के मलीन सागर से मुझे निकालो।
पावक पुँज बन मेरे विश्रृँखलित
जीवन में, यकायक तुम आये
ज्यौं अंनन्तहीन विद्युत आभा
सूने नैराश्य भवन में
आलौकिक असँख्य मणिदीप लिये
अनदेखा अदृश्य मार्ग दिखलाने
तिमिर उदधि में फँसी, बचा लो।
(डाॅ.मँजु गुप्ता)
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