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लाल पलना में झूल मंजु दीदी

झूल झूल झूल
लाल पलना में झूल।
सोभा सिंधु अतुल ह्वै तोहि हौं बलिहारी जाऊँ।
फूल समान तन पै तोहि खल-दृष्टि जनि पाँऊ।
जसुमति मन अकुलाय रह्यौ आँचल अँसुअन भीजौ।
रक्षा कीजौ मोहि सुत की, मोय त्रास दै दीजौ।
कोऊ दिन ऐसौ जात नहीं जापै विपत्ति जनि पाँऊ।
कऊ पूताना, कऊ तर्णावत बाढ़ि बाढ़ि आफत पाँऊ।
अतहिं कोमल लाल मेरौ टोना जायै छुड़ाँऊ।
दैव करै इब कोऊ न आवै, कौन दुसमन आग्यौ।
सुरनि मनाँऊ पितर पुजाँऊ'मँजु' को मेरे लाल के लाग्यौ।
(मँजु गुप्ता)

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