सहस स्वभाव परयो नवलकिशोरी जु को ,
मृदुलता दयालुता कृपालुता की रासि हैं ।।
नेक हूँ नीरस काँहू भुलेहु न होत सखी ,
रहत प्रसन्न सदा हिये मुख हांसि हैं ।।
ऐसी सुकुमारी मेरे लालजू की प्राण पियारी,
धन्य - धन्य - धन्य जे इनके उपासि हैं ।।
हित ध्रुव और सुख जहाँ लगि देखियत,
सुनियत तहाँ लगि सबै दुख पासि हैं ।।
जय जय श्यामाश्याम जु रसीले सरकार की ।।।
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