तृषित जी प्यारी सी बिटिया को समर्पित कुछ पंक्तियाँ
'बिटिया'
मंदिर की घंटी,ज्यौं
मसजिद की अनजान।
काशी-काबा, पूजा-पाठ, ध्यान
तपस्वी की क्षमाशीलता, दान।
जीवन-बगिया की क्रीड़ा-सुगंध
हरियाली बसंत की।
हृदय-निहित संवेदनाओं की प्राण
गहन प्रकृति विश्रान्ति मन की।
अंधकार में दीप-शिखा सी
घनघोर घटा में दामिनी सी।
प्राची काल की उषा लालिमा
प्रथम बौछार ज्यौं सावन की।
सत्यं शिवम् सुन्दरम की
अनछुई पावन प्रतिमूर्ति।
संचित-कर्मों का फल, ज्यौं
अंध-दृग,चिर-अभिलाषित नयन ज्योति।
जन्म-प्रदात्री का गर्वित धन
अदृश्य लोक से आई।
महकाने वसुधा का आँगन।
पंच-तत्व से यह भी निर्मित
जिसके हो तुम।
(डाॅ.मँजु गुप्ता)
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