Skip to main content

नटखट ने लगाईं मेहँदी , मंजु दीदी

नटखट ने लगाई मेहँदी
राधिका के रेशमी करतल में।

देह पूर्ण संगीत बनी है
अंग-प्रत्यंग में राग-रागिनी
तन-विदेह, मन से मन एक
फूल-बाणों से बिंधें बिँधे
समग्र सुर एकात्म बाँसुरी में।

सत्य है यह,नहीं ठिठोली है
लजीली भोली हुई गुलाल सम
मुख पर स्वर्णिम सुर्ख रंगोली है
नयनों में साँझ, झीने झीने अवगुंठन में।

अश्रु-मुक्ता से भर गई अँखिया
खो गई ऐसी बृषभानुनंदिनि
पिय समक्ष,स्वप्न सम सुध-बुध
डरपति, कहीं बदल न जाये मिलन विरह में।

हिय-उमढ़ता आनन्द-अमिय-रस
मन में शुक-पिक सा गुँजन अभिनन्दन
मुख स्मित,करतल चित्रित
लजीली चितवन दोऊ ओर,गढ़ रही अवनि में।
(डाॅ.मँजु गुप्ता)

Comments

Popular posts from this blog

युगल स्तुति

॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...

वृन्दावन शत लीला , धुवदास जु

श्री ध्रुवदास जी कृत बयालीस लीला से उद्घृत श्री वृन्दावन सत लीला प्रथम नाम श्री हरिवंश हित, रत रसना दिन रैन। प्रीति रीति तब पाइये ,अरु श्री वृन्दावन ऐन।।1।। चरण शरण श्री हर...

कहा करुँ बैकुंठ जाय ।

।।श्रीराधे।। कहाँ करूँ वैकुण्ठ जाए.... जहाँ नहीं नंद, जहाँ नहीं यशोदा, जहाँ न गोपी ग्वालन गायें... कहाँ करूँ वैकुण्ठ जाए.... जहाँ नहीं जल जमुना को निर्मल, और नहीं कदम्ब की छाय.... कहाँ ...