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किशोरी चरणन सेवा

सभी रसिको को
जय श्री राधे.....
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नीचे चित्र मे लाल जी-लाली जी वाली छवि को निहारिये... यह दर्शन सेवा कुञ्ज में एक रसिक को प्राप्त हुए और वह यह भाव व्यक्त करते हैं कि-
हमें शयन की लीला नजर आयेगी.....

एक दिन लीला में लाडली जू शयन कर रही है अभी अभी महारानी करवट ले धीरे धीरे श्यामसुंदर के विचारों में मग्न अपनी आँखे बन्द किये मन्द मन्द मुसकुरा रही है..आज ललिता जू के मन में श्यामसुंदर की प्रेरणा से चरण सेवा विचार आया, दासीगण और मंजरियों को विश्राम दे ललिता जू स्वयं किशोरी जू के चरण दबा रही है।लीला कौतुक में श्याम सुंदर वहाँ पधारे..श्यामसुंदर को वहाँ देख ललिता जू एक दम से परेशान हो श्यामसुंदर की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखती हैं। श्यामसुंदर हाथ जोड विनय की मुद्रा में इशारे से ललिता जू को मौन रहने की प्रार्थना करते है तो ललिता जू इशारे में ही पूछती है..
क्या चाहते हो..?
श्यामसुंदर ने इशारे में ही उत्तर दिया..
थोडी देर चरण सेवा।
ललिता जू कोतुक में थोडी आखे तरेर के इशारे में कहती है......नहीं मिलेगी....
श्यामसुंदर बिलकुल गिडगिडाने वाली स्थिति में आ जाते है...
लीला में ज्यादा सताती नहीं ललिता जू और इशारे से श्यामसुंदर को बुलाती है और  इस तरह चरण सेवा सौपती है कि प्रिया जू को पता ना चले कि कब ललिता जू हटी ओर श्यामसुंदर आये....
.पर प्रिया जू तो प्राण वल्लभ प्रियतम के स्पर्श को हाथ लगते ही पहचान जाती है.....!
अब लीला शुरू होती है...
प्रेम की, आनन्द की, प्रेम में प्रेमी के सुख के लिये अपने पर कितने भी अपराध आये उसे भी प्रेमी के सुख के लिये स्वीकार करने की....
अहो श्यामसुंदर मेरे चरण दबा रहे है, क्या करूँ.....
चरण दबाने से जो सुख श्यामसुंदर को मिल रहा है उसे मै कैसे मना कर सकती हूँ पर श्यामसुंदर मेरे चरण दबाये ये मेरे लिये बिलकुल असहनीय है...
किशोरी जू इस समय बहुत असमंजस में...प्रिया जू के नेत्रो से अविरल धारा बह निकलती है...
श्यामसुंदर को सुख मिल रहा है चरण सेवा से तो रोक भी नहीं सकती ओर श्यामसुंदर चरण दबा रहे है ये मन में पीडा भी है उनकी सेवा मुझे करनी चाहिये है , देव वो मेरी सेवा कर रहे है।इसकी पीडा भी मन में है....
ये है प्रेम ओर प्रेम में केवल प्रेमास्पद के सुख के लिये हर पीडा हर अपराध सहने का भाव...
किशोरी भाव भी यहीं से शुरू होता है। प्रियतम के सुख के लिये भले कोटि जन्म भंयकर नरक में क्यों ना बिताने पडे...हम तो केवल एक प्राण वल्लभ का सुख चाहते है....!
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जय रसिक रासेश्वरी  लाड़लीजु...

प्रिया प्रियतम सरकार कीजय

जय जय श्री श्यामाश्याम
(( shreeji gau sewa samiti ))

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