प्रेम और तुमसे किसने कहा तुम्हें नहीँ , नहीँ ऐसा नहीँ .... तुमसे तो नहीँ देखा है हाल तुम्हारे आशिक़ों का मोहन !! कोई अधूरा तो कोई बिखरा क्या हाल कर देते हो ज़िन्दगी तबाह भी नहीँ होत...
श्रीवृषभानुनन्दिनी से प्रार्थना सच्चिदानन्दघन दिव्यसुधा-रस-सिन्धु व्रजेन्द्रनन्दन राधावल्लभ श्यामसुन्दर श्रीकृष्णचन्द्र का नित्य निवास है प्रेमधाम व्रज में और ...
🙏🙏🚩श्री राधा का स्वरुप 🚩🙏🙏 जहाँ कोई आकांक्षा नहीं, जहाँ कोई वासना नहीं, जहाँ अहम् का सर्वथा विस्मरण - समर्पण है, जहाँ केवल प्रेमास्पद के सुख की स्मृति है और कुछ भी नहीं - यह ए...
छैल जो छबीला, सब रंग में रंगीला बड़ा चित्त का अड़ीला, कहूं देवतों से न्यारा है। माल गले सोहै, नाक-मोती सेत जो है कान, कुण्डल मन मोहै, लाल मुकुट सिर धारा है। दुष्टजन मारे, सब संत ज...
शरणागति । यहाँ क्या चाहिए , कैसी स्थिति चाहिए ? सच में तो यहाँ कुछ प्रयास नहीँ । यहाँ अपनी प्यास और सच्ची असमर्थता चाहिए । जो उनसे होगा , वो हमसे नहीं । अपने दर पर किसी को यूँ आये ...
नारदकृत राधा-स्तवन एक समय नारदजी यह जानकर कि ‘भगवान श्रीकृष्ण व्रज में प्रकट हुए हैं’ वीणा बजाते हुए गोकुल पहुँचे। वहाँ जाकर उन्होनें नन्दजी के गृह में बालक का स्वाँग बन...