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शिथिल किञ्चित् भीतर स्पंदन

शिथिल किञ्चित् भीतर स्पंदन
मुग्ध अधरा व्याकुल अवचेतन
क्षुब्ध धरा पर नव नित्य चिंतन
गहर गर्भन्तर निरन्तर मनन
विशुब्ध विशुद्ध स्मरब्ध दर्शन
बिन्द-अरविन्द-हरेन्द पद-अवलोकन
"तृषित" शिरोमणी रसय वदन
विश्व बिसर हिय पखार तव चरण
भावित भाव विनय-विनय भिलाषण
सत्यजीत"तृषित"

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