स्वगाथा , पुण्यों का बखान , महिमा आदि बहुत कहते है , बल्कि सब कहते है ।
साहस चाहिये सत्य हेतु । सब पूण्य कहे तो सब पाप भी । पाप कहते ना बने तो पूण्य को कहना व्यर्थ है । जो हाथी चींटी से घबराये वह अन्य बाधा का क्या सामना करेगा , नाहक बड़ा दीखता है ।
जो भय मुक्त है , वह सत्य है , भगवान का ही है ।
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