राधा बाबा बड़ी सुंदर बात कहते है --
500 चीज़ (वस्तु) अपनी जानी हुई , लिखिए । युगल सरकार के लिए , युगल की ही ।
जैसे प्रियप्रियतम की सुंदर चद्दर ।
और उस वस्तु संग कुछ क्षण दर्शन भी कीजिये ।
इससे सहज लीला अनुभव होगी ही ।
एक दिन मुझे भी ख्याल आया यह समस्त जो दीखता है , इनका दिव्य रूप तो वहाँ है , जैसे यहाँ कागज को धन समझ लिया गया है , वैसे ही वहाँ हर वस्तु अपने दिव्य रूप में और उन सभी को वहीँ का जान यहाँ हृदय से प्रतीति मान उनसे संवाद किया जा सकता है । सभी उन्ही का जब स्वीकार हो जायेगा तभी मुक्ति तो वहीँ हो ही जायेगी । शेष रहेगा भगवत् प्रेम होना वह भी इस तरह सजीव होने लगेगा । जो भी बन्धन लगे पहले उन्हें ही दिव्य रूप में उनका मान लें । संसार सम्बन्धी वस्तुओं या कामनाओं को भगवद् विषय सम्बन्धी बना लिया जाय। बस। हर वस्तु चिन्मय यानि भगवान की वस्तु , रूप ध्यान द्वारा।
वरन् सर्वरूपेण वहीँ संग ही है । सत्यजीत तृषित ।।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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