कितनी बार मधुर गीतों ने साजन तुम्हें पुकारा
कितनी बार भरी आँखों ने तेरा पंथ निहारा
कितनी बार स्वप्न संगम का मन में भाव उखारा
किन्तु सखे तेरे नयन कोर से हुआ न एक इशारा
कितनी बार मूक आहों ने तुम्हें किए इशारे
धीरे धीरे सब जग बदला बदले न भाग्य हमारे
आ जाओ मेरे रमण बिहारी आ जाओ गिरधारी आ जाओ बनवारी
आ जाओ रस पूरित सावन
तेरी 'प्रीति' पड़ी अधूरी
सब व्यवधान समेट लो मनहर
नेक रखो न दूरी
तू मुझ में समा जा इस तरह
तन प्राण का जो तौर है
जो देखे समझे नहीं
मैं और हूँ तू और है
आ जाओ
हे मेरे प्रियतम हे अंतस स्थित मरम
ले आवो स्थित मिलन की भोर
प्रिय तुम बिन सूना है सब और
इस विरह निशा में ओ मेरे मधुकर
ज्योति तुम बन आओ
प्राणों की पीड़ा को हर लो
हे सुरभित यौवन आओ
आ जाओ
मेरे जीवन के दीप
हे सुख संगीत
तेरे कर है जीवन की डोर
आ जाओ
अब सुन लो करूण पुकार
प्रिय आ जाओ इक बार
मेरी प्रीत के परम आधार
प्रिय आ जाओ इक बार
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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