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विरहानन्द-समर्पणानन्द

लावण्य नि:शब्द प्रीति
   विस्फरण आलौकित चेतन
त्वरित स्पर्श सर्वस्व हरण
  
नि:शान्त मृतिका देह
सुशान्त तरल मन
    प्रशान्त दीपिका पुंज
आलोकन का मधुर चुम्बन
    प्रस्फुर तिमिर विघटन
हृदयंत अंधतम् करुणम्
   त्रेनेत्र करत प्रियतम् दर्शन
अंधकृत आलिंगन
   प्रेमास्पदन आत्म विघर्षण
प्रज्ज्वल  लौ केवल तव चेतन

  मौनावृति सजीव चित्रण
वांग्मय जगत नित नव प्रयत्न
   परम् तत्व सदा अकथन
प्रतिक्षण वदन पूर्ण न लेखन
 
रुदन-करुण-विरहानन्द
प्रेम-हर्ष-उन्मदानन्द
   नृत्य-गायन-वादनानन्द
पूर्ण भाव रहस्यानन्द
  अज्ञात संचरण विलयानन्द
चक्षुजल करत अर्चनानन्द
   सरल अरविन्द सच्चिदानन्द

प्रभु तव आगमन नमन वन्दनानन्द
तृण "तृषित" न जानत जीवनानन्द
असमर्थ पावत पूर्ण समर्पणानन्द  !!
*** सत्यजीत तृषित ***

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युगल स्तुति

॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग

वृन्दावन शत लीला , धुवदास जु

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