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युगल स्वरूप के कमल चरणों में बार बार यही प्रार्थना हे राध

युगल स्वरूप के कमल चरणों में बार बार यही प्रार्थना हे राधे.......
हे राधामाधव! तुम दोनों दो मुझको चरणों में स्थान।
दासी मुझे बनाकर रखो, सेवा का दो अवसर दान।।
मैं अति मूढ़, चाकरी की चतुराई का न तनिक सा ज्ञान।
दीन, नवीन सेविका पर दो समुद उड़ेल स्नेह अमान।।
ऱज़-कण सरस चरण-कमलो का खो देगा सारा अज्ञान।
ज्योतिमयी रसमयी सेविका मैं बन जाऊंगी सज्ञान।।
राधा सखी मंजरी को रख सम्मुख मैं आदर्श महान।
हो पदानुगत उसके, नित्य करूंगी मैं सेवा सविधान।।
झाड़ू दूँगी मैं निकुंज में, साफ़ करूंगी पादत्रान।
होले होले हवा करूंगी सुखद व्यंजन ले सुरभित आन।।
देखा नित्य करूंगी मैं तुम दोनों की मोहिनी मुस्कान।
वेतन यही, यही होगा बस, मेरा पुरस्कार निर्माण ।।।
🙏🏻🙏🏻🌹शुभ कृष्णा रात्रि 🌹🙏🏻🙏🏻

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