युगल स्वरूप के कमल चरणों में बार बार यही प्रार्थना हे राधे.......
हे राधामाधव! तुम दोनों दो मुझको चरणों में स्थान।
दासी मुझे बनाकर रखो, सेवा का दो अवसर दान।।
मैं अति मूढ़, चाकरी की चतुराई का न तनिक सा ज्ञान।
दीन, नवीन सेविका पर दो समुद उड़ेल स्नेह अमान।।
ऱज़-कण सरस चरण-कमलो का खो देगा सारा अज्ञान।
ज्योतिमयी रसमयी सेविका मैं बन जाऊंगी सज्ञान।।
राधा सखी मंजरी को रख सम्मुख मैं आदर्श महान।
हो पदानुगत उसके, नित्य करूंगी मैं सेवा सविधान।।
झाड़ू दूँगी मैं निकुंज में, साफ़ करूंगी पादत्रान।
होले होले हवा करूंगी सुखद व्यंजन ले सुरभित आन।।
देखा नित्य करूंगी मैं तुम दोनों की मोहिनी मुस्कान।
वेतन यही, यही होगा बस, मेरा पुरस्कार निर्माण ।।।
🙏🏻🙏🏻🌹शुभ कृष्णा रात्रि 🌹🙏🏻🙏🏻
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
Comments
Post a Comment