-- हरिनाम से प्रार्थनाएं - यही भाव हो हमारा --
हे भगवन ! मुझ पर कृपा कीजिये और मेरी जिह्वा पर प्रकट हो जाइये; वहां निरंतर नृत्य कीजिये । हे भगवन ! मैं आपके चरणों में गिरकर आपसे यह विनती करता हूँ ।
आपकी इच्छानुसार, आप मुझे इस संसार में रखें या अपने धाम ले चलें, आप मेरे साथ चाहे जो करें परन्तु मुझे अपने दिव्य नामों का अमृतपान कराते रहें ।
आप इस संसार में पवित्र-नाम को वितरित करने के लिए अवतरित हुए हैं, इसलिए कृपया मुझे भी उन्हीं लोगों में से समझिए जिन पर आप कृपा करने का विचार लेकर आये हैं ।
हे पतितों के उद्धारक ! मैं अधमों में अधम हूँ, और आप अधमों का उद्धार करने को प्रतिबद्ध हैं, यही हमारा नित्य-सम्बन्ध है ।
हे भगवन ! हमारे इसी अटूट सम्बन्ध के बल पर मैं आपसे भीख मांगता हूँ कि मुझपर अमृतमय पवित्र-नामों की वर्षा करें ।
- श्रील हरिदास ठाकुर की हरिनाम को प्रार्थनाएं (हरिनाम चिंतामणि ११.५३-५७, स १५४)
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