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श्री राधा जु के आभूषण

🙌🏻🙌🏻👑👑🌿🌿श्री राधा रानी जू के आभूषण 👑👑🌿🌿

✨तिलक ➡ स्मर यंत्र
✨हार   ➡  हरि मनोहर
✨कान के आभूषण➡ रोचन
✨नासिका की मुक्ता➡  प्रभाकरी
🎵🎵मनमोहनकारी राग ➡मल्लार एवम् धनाश्री
💃🏻💃🏻प्रिया नृत्य➡ छालिक्य
🎹वाद्य यंत्र ➡रुद्रवल्लकी
👌🏻💍अंघूठी का नाम➡  विपक्षमदमर्दिनी
✨कांची(करधनी)का नाम➡ कांचचित्राङ्गि
🌹👣नुपुर का नाम ➡रत्नगोपुर
👰🏼वस्त्र ➡मेघाम्बर, कुरुविन्दनिभ
💎दर्पण का नाम➡ सुधांशु दर्पहरण
❤सुवर्ण शलाका ➡नर्मदा
💇🏻रत्नों से जड़ित कंघी का नाम➡ स्वस्तिदा
👑सोने के कंघन (कटक) ➡चटकाराव
🌹रंग बिरंगी मणीयों का नाम➡ केयूर
💐पुष्प उद्यान ➡ कंदर्प कुहली
🌻उद्यान स्थित स्वर्णयूथि पुष्प लता का नाम ➡तडिदवल्ली
🌁कुण्ड नाम➡ श्री राधाकुण्ड
👣श्री राधा जू के दास➡ गार्गी आदि श्रेष्ठ ब्राह्मण गण भृङ्गारिका आदि चेटीयाँ सुबल उज्जवल गन्धर्व मधुमंगल रक्तक आदि सेवक तथा विजया आदि रसाला आदि पयोदा आदि वितगण आदि🙌🏻🙌🏻🌻🌻🌿🌿🌹🌹

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युगल स्तुति

॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग

वृन्दावन शत लीला , धुवदास जु

श्री ध्रुवदास जी कृत बयालीस लीला से उद्घृत श्री वृन्दावन सत लीला प्रथम नाम श्री हरिवंश हित, रत रसना दिन रैन। प्रीति रीति तब पाइये ,अरु श्री वृन्दावन ऐन।।1।। चरण शरण श्री हरिवंश की,जब लगि आयौ नांहि। नव निकुन्ज नित माधुरी, क्यो परसै मन माहिं।।2।। वृन्दावन सत करन कौं, कीन्हों मन उत्साह। नवल राधिका कृपा बिनु , कैसे होत निवाह।।3।। यह आशा धरि चित्त में, कहत यथा मति मोर । वृन्दावन सुख रंग कौ, काहु न पायौ ओर।।4।। दुर्लभ दुर्घट सबन ते, वृन्दावन निज भौन। नवल राधिका कृपा बिनु कहिधौं पावै कौन।।5।। सबै अंग गुन हीन हीन हौं, ताको यत्न न कोई। एक कुशोरी कृपा ते, जो कछु होइ सो होइ।।6।। सोऊ कृपा अति सुगम नहिं, ताकौ कौन उपाव चरण शरण हरिवंश की, सहजहि बन्यौ बनाव ।।7।। हरिवंश चरण उर धरनि धरि,मन वच के विश्वास कुँवर कृपा ह्वै है तबहि, अरु वृन्दावन बास।।8।। प्रिया चरण बल जानि कै, बाढ्यौ हिये हुलास। तेई उर में आनि है , वृंदा विपिन प्रकाश।।9।। कुँवरि किशोरीलाडली,करुणानिध सुकुमारि । वरनो वृंदा बिपिन कौं, तिनके चरन सँभारि।।10।। हेममई अवनी सहज,रतन खचित बहु  रंग।।11।। वृन्दावन झलकन झमक,फुले नै

कहा करुँ बैकुंठ जाय ।

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