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कौन हो तुम । भाव

कौन हो तुम
क्यों हो तुम
कहीँ वर्षा तो नहीँ ....
रूखे सूखे कूप पर गिरती
करुणा बन बन कर ...
कौन हो तुम !!
बुझते दीपक की
आज्या हो तुम ?
जीवन यज्ञ में कभी
स्वधा कभी स्वाहा हो तुम
कौन हो तुम
कहीँ तुम विवर्त तो नहीँ
कहीँ किसी का
श्यामल बिम्ब तो नहीँ ....
कौन हो तुम !!!
क्या चरण धोवनि मन्दाकिनी हो
या चरण छुवन प्यासी कालिन्दी हो
कहीँ अद्वैत सरस्वती की
साकार धार तो नहीँ हो तुम ...
कौन हो तुम ???

*****

श्याम का श्यामा होना
प्रकृति का पुरुष होना
जीव का शिव
और शिव का जीव होना
प्रेम रंग में मैं का तुम होना
उनके रंग में रँगना
उनका मेरे रंग में होना
यह जीवन्त स्वप्न विवर्त है

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