"एक तो ये हसीं मौसम
उस पर ये आलम-ए-तन्हाई
कहीं मेरी जां ना ले ले
तेरा यूँ याद आना!!"
यूँ तो हर शै में तुम हो
तुम ही तुम दिखते
हमराह तुम्हें ही पाती हूँ
युग युग से बीतते पलों में
तेरी बाट जोहती
हर राह गुज़र जाती हूँ
पग पग पर यही सोचती
मिल जाऊंगी तुमसे
कहीं ना कहीं
मिलकर यूँ ही कभी
खो जाऊँ तुम में कहीं
आगोश में तुम भर लेते हो
पर हो जाती हूँ आज़ाद अभी
ऐसा भी पल होगा
तुम मिलो और
समाकर तुम में
तुम हो जाऊँगी कभी
घनघोर घटाओं में
आज देखो घटा बनकर
लहराती तुम तक आई हूँ
परत दर परत हर घटा को खोलती
देख देख हर्षाई हूँ
तुम हो इक इक घन में प्रिय
छुअन से सर्द पवन सी
महकाई हूँ
गूँज रही जो ध्वनि तेरी
आसमान में सुनकर आई हूँ
घटाओं में घटा बनकर आई हूँ
नीले नभ में तुम
श्याम रंग भर देते तुम
सर्द घटाओं में
महसूस होते तुम
पंख नहीं फिर भी देखो
तुमसे मिलने
पवन संग
आसमान में उड़ते तोता मैना संग
गीत मधुर प्रेम के गाती
आई हूँ उड़कर कोकिल संग
घटाओं में घटा बनकर
मेरे प्रियतम मैं आई हूँ
धरा से उठकर
भेदभाव भुलाकर
देह को त्याग
नेह की चदरिया औढ़े
नज़र से छुपकर
दुनियादारी से टूट कर
प्रेम जाल में बंध कर
तेरी प्रेम डोर से बंध कर
देखो प्यारे मधुकर
तेरी होने तेरी बाहों में
सिमट कर मैं आई हूँ
घटाओं में घटा बनकर आई हूँ
घनघौर घटा में
रौशनी की इक किरण
चीरती आसमान को
तेरी घड़घड़ाहट को हरती
श्यामल तूफान को शांत करती
छाई श्यामा को देख मैं
अकुलाई उलसाई सी
निहार रही युगल छवि को
बलिहार जाने आई हूँ
लिख लिख कर नाम'राधे'
मैं काली घटाओं को
सजाने आई हूँ
पाने दर्शन युगल का
घटाओं में मेरी सरकार
घटा बन कर आई हूँ
एक बात बोलूँ
तू मुझको घटा बनकर ही छूले
दिल में आग लगाने लगे हैं
ये सावन के झूले
राधे माधव तुम में
खो कर मैं
खुद को भुलाने आई
बरसादो मुझे भी तुम
प्रेम में डुबा कर
मिलकर तुम से
बेहस्ती ही मैं
हस्ती खोने आई हूँ
श्याम मधुकर मैं
घटाओं में मिलकर
घटा होने आई हूँ
"मीलों दूर से मुझे कोई
महसूस कर रहा है
एक दिल है जो
मुझसे महोब्बत
खूब कर रहा है!!"
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