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अमिता दीदी , हम दर्द के मारो को मोहन ...

हम दर्द के मारों को मोहन देखो इतना सताना ठीक नहीं
पहले ही रोती हैं आँखें और दिल को रुलाना ठीक नहीं

कभी सुन भी ले तू दर्द मेरा क्यों मैंने तुम्हें नहीं इश्क़ किया
क्यों दिल से ना याद किया तुमको क्यों मुंह से ना तेरा नाम लिया
मैंने अपने गुनाह सब कूबूल किए देखो अब तड़पाना ठीक नहीं
हम दर्द के मारों को मोहन देखो इतना सताना ठीक नहीं
पहले ही रोती हैं आँखें और दिल को रुलाना ठीक नहीं

माना हैं लाखों गुनाह मेरे पर तुझसा कोई दिलदार कहाँ
सब रिश्ते दुनिया के झूठे मोहन तुझसा कोई यार कहाँ
है उम्मीद लगी मेरे दिल को तेरी अब छिपते जाना ठीक नहीं
हम दर्द के मारों को मोहन देखो इतना सताना ठीक नहीं
पहले ही रोती हैं आँखें और दिल को रुलाना ठीक नहीं

दर छोड़ तेरा प्यारे तू बता अब और कहाँ ठिकाना मेरा
दिल तेरे ही नग्में गाता है देखो हो चुका दीवाना तेरा
ऐसे घायल करके छोड़ा है क्यों लगाया निशाना ठीक नहीं
हम दर्द के मारों को मोहन देखो इतना सताना ठीक नहीं
पहले ही रोती हैं आँखें और दिल को रुलाना ठीक नहीं

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