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चाँदनी रातों में ... आँचल सखी जु

बडी आए पिया तेरी याद
तेरे जाने के बाद
चाँदनी रातो मे....
तन्हा तन्हा रहती हू
दर्द जुदाई का सहती हू
हर पल होती बरसात
चाँदनी रातो मे....
जब घिर अाते बादल बनकर
चंदा या तारे पवन बनकर
सब बह जाते जज्बात
चाँदनी रातो मे....
डरती हू अब मै रोने से
बिन पाये तुझे क्यू खोने से
टूटे टूटे से ख्वाब
चाँदनी रातो मे.....
भूली चेहरा या देखी नही
तेरी हू ही नही या थी ही नही
जाउ मै कहाँ तेरे बाद
चाँदनी रातो मे.....
उलझन है ये जो सुलझा दो
कुछ अपना पता तो बतला दो
मुझे रहना वही तेरे साथ
चाँदनी रातो मे.....
कितने मिल मिलकर गये तुम्है
कितनो से ही बाते की तुमने
मेरी बारी हुयी क्या बात
चाँदनी रातो मे....
जल जाउ कही न खुद से ही
तेरे चुपचुप यू रहने से ही
तोडो खामोशी आज
चाँदनी रातो मे.....
आ जाओ पिया इक बार
चाँदनी रातो मे.....
बस आ जाओ इक बार
चाँदनी रातो मे.....

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