हिरक हिरक रोवत राधे,आवत श्याम न दिखे।
बैठत लगत हिय सो वा को ही,काहे लगत नाहि नीके।
हा! माधव मोहन मौरे प्रीतम,कहत ढुरी भूमि पै।
सुनिहौ हिय धुनि प्रिया मौरी,टेरत नाम तुम्हीके।
नेक नैनन खोलत देखिहौ प्यारी,तुव बैठिहो गोद पी कै।
सुनि चकित हुई नैनन कौर देखी,अति निकट होही जी के।
प्रीत को रंग अनोखेही होहै,कबहु भरै कबहु रीतै।
कबहु बैठिकै अंक पुकारै,कबहु पावत जी मै।
ऐसौ करिहौ मौही पर किरपा,रहू चरणन प्रेम जौरी कै।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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