साँवरे...
जैसे जैसे दिन ढलता है
मेरे मन की आस ढलती जाती
एक ओर जनम बीता तुझ बिन
एक जनम रात संग आता है
और.......
गहरे काले आकाश मे जब
चंदा तारो संग आता है
मेरे प्रीतम रह रह याद मुझे
सूनापन मेरा दीलाता है
जब कोई दीया बिन बाती के
दीख जाता है मुझको सूना
मुझे कशती का कोई अपनी ही
साथी सा नजर वो आता है
जब देख देख रसता तेरा
मन धीरज खोने लगता है
तू आता है और झलक दिखा
जुगनू सा कही खो जाता है।
कह दो क्या यही सब मिलता है
चाहत मे आशिक को तेरे
या हम से ही कोई खास सनम
मोहब्बत ऐ रसम निभाता है
दीदार नही देना न सही
तबियत से मुझे तलब तो दो
रोगी को दवा न दे सकते
कम से कम जखम हरा कर दो
अब भाता नही है सुकूं दिल को
इस दिल को जखमो से भर दो
साँवरे.....साँवरे....
साँवरे......
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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