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अर्ज सुनो कोऊ तो म्हारी , आँचल सखी जु

अरज सुनो कौउ तो म्हारी
मिला देहो सावरौ सो मोहै
अरज सुनो.....
बनावे जो बन्शी बन जावू
जो छेदे अंग अंग छिदवाहू
उठा लै या रख लेवे संग ही
बना लै अपनौ बस मोहै
अरज सुनो.....
जो चाह्वौ जग माही रखनो
रहू बाँवरिया बन तौहरी
न रहवै सुधि तन जन की ही
याद थारी रहवै बस मौहै
अरज सुनो......
कौऊ नाही है का जग माही
मिलावै गिरधर सो म्हानो
प्रेम को रंग रंगा दीजौ
कोऊ तो राह दीजौ मोहै
अरज सुनो......

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