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देखो नभ में छाए घन संगिनी सखी जु

"तुम बारिश की फुहार से थे
पर मुसलाधार हैं यादें तेरी"

देखो नभ में छाए घन
श्यामल श्यामल हुआ नभमंडल
घन घन कर घटाएं छाईं
मधुर मधुर हुई चित्तवन
महकी महकी पुरवाई
सुगंधित सुगंधित मधुबन
केसर पराग बिखर रहा
चहुं दिशि नाच रहा सावन

नाच नाच कर मोह रहा
मन हुआ मिलन आतुर
रह रह कर यादें सताऐं
आन मिलो प्रियतम
दे रही विरहन सदाऐं

मंद मंद चाल चले
मेरा मयूर मन गाए
चातक सी प्यास लिए
स्वाति बूँद बन बरसो मोहन
धीर अधीर हुआ मीन जल बिन
पीर जर उठी अग्न बन

दीपक जला जो तेरे प्रेम का
सावन में धधक उठा
आओ शांत करो प्यारे
बुझ ना जाए होंगे अंधियारे

पी मिलन की आस लिए
सींच रही जन्मों से जो
फूट पड़े अंकुर सारे
नयनों से रंग बह ना जाएँ
आकर करदो पुष्प सुनहरे
कलि बन तक रहे राह जो
भर दो उनमें रंग न्यारे

आओ श्याम घन बन बरसो
मिला लो संगिनी को संग
भर कर अपने बाहुपाश में
खोल दो दरमियां बंधन सारे
प्रीति पिया की गुनगनाती
गुदगुदाती पवन संग
मिट्टी सी महकादो
नेह झरते मेघ करदो

मेघ बन तुम संग प्यारे
बरस जाऊँगी धरा पर
तेरा अमर प्रेम बनकर
नभ से कुछ तारे चुनकर
माँग अपनी पुष्पों से भरकर
सजा दूंगी तेरा नाम लिखकर

बिखरा दूंगी चंदा की चांदनी
छू लेगा नभ को सागर
लहर लहर उठ कर तुम संग
इंदरधनुष का आकाश बनाऊंगी
सतरंगी रंगों से प्रियतम
नाम तेरा ही लिखा होगा
तेरे प्रेम के तराने सुना कर
कर दूंगी जग को झंकरित
तुम वीणा वंशी बजाना
मैं थिरकुंगी बन पायल नूपुर

मिला लो मुझे अपने संग
बनादो मेघ ओ श्यामल घन
बरस बरस कर ओ प्रियतम
हम सींच देंगे प्रेम के नव अंकुर
संदेसवाहक सावन बना
आज तेरा अनुचर
पुकार रही तुम्हें
तेरी राधा मोहन

"मुझे बरसात बनालो
इक लम्बी रात बना लो
और कुछ नहीं तो
जज्बात बनालो
मुझे अपने अल्फाज़ बनालो
दिल की अपने आवाज़ बनालो
गहरा सा इक राज़ बनालो
नशा हूँ मैं बहकने दो
मेरे कातिल मुझे जीने का हक तो दो"

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