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अमिता दीदी , नहीं लफ्ज़ कोई करूँ मैं ब्यान

नहीं लफ्ज़ कोई करूँ मैं ब्यान कितनी साहिब तेरी रहमत है
तेरे चरणों का प्यार मिले जिसको उसकी चमकी यहां किस्मत है

मुझ पर इतना नज़र ए कर्म रखना तेरा नाम जुबां से सदा निकले
तेरे चरणों में शीश झुकाने को मेरे साहिब मेरा मन मचले
मेरे साहिब मेरा मन मचले
दर छोड़ तेरा मैं जाऊँ कहाँ तेरे कदमों में ही जन्नत है
नहीं लफ्ज़ कोई करूँ मैं ब्यान कितनी साहिब तेरी रहमत है
तेरे चरणों का प्यार मिले जिसको उसकी चमकी यहां किस्मत है

हूँ आशिक करदो एक नज़र इक नज़र तेरी की प्यास मुझे
सच्चा इश्क़ तुम करते हो साहिब इतना विश्वास मुझे
साहिब इतना विश्वास मुझे
तेरा इश्क़ ही मेरी जिंदगी है तेरा नाम ही मेरी इबादत है
नहीं लफ्ज़ कोई करूँ मैं ब्यान कितनी साहिब तेरी रहमत है
तेरे चरणों का प्यार मिले जिसको उसकी चमकी यहां किस्मत है

मुझे तुझसे बिछड़े साहिब जाने कितने युग बीत गए
मैं हार गया बाज़ी अपनी मेरे साहिब तुम जीत गए
मेरे साहिब तुम जीत गए
पर गुस्ताखों को भी अपनाना साहिब तेरी ही आदत है
नहीं लफ्ज़ कोई करूँ मैं ब्यान कितनी साहिब तेरी रहमत है
तेरे चरणों का प्यार मिले जिसको उसकी चमकी यहां किस्मत है

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